60 डेज - 1 S Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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60 डेज - 1

भाग 1


कहानी - 60 डेज


संजय , कमला और तृषा तीनों दिल्ली के मशहूर कॉलेज में पढ़ने आये थे . यह कॉलेज दिल्ली ही नहीं देश के श्रेष्ठ कॉलेजों में एक था . तीनों देश के अलग अलग शहरों और प्रांतों से आये थे . संजय और तृषा दोनों बातूनी थे और कमला शांत अंतर्मुखी स्वभाव की थी . पढ़ने लिखने में कमला ही सबसे अच्छी थी , संजय भी अच्छा था और तृषा औसत . तृषा का परिवार काफी धनी था और वह स्वभाव से उदंड थी . फिर भी तीनों में अच्छी दोस्ती थी .


कमला को बचपन से गाने का शौक था और संजय को कविता लिखने का . कॉलेज के सांस्कृतिक कार्यक्रमों या अन्य उत्सवों के अवसर पर कमला स्टेज पर गाती जबकि संजय और तृषा नाटक में भाग लेते थे . अक्सर संजय हीरो होता और तृषा उसकी हीरोइन या प्रेमिका . तृषा मन ही मन संजय को पसंद करने लगी थी . तृषा जापानी भाषा भी सीख रही थी . कमला उसे बोलती कि जापानी तो बहुत कम लोग सीखना चाहते हैं , इससे भविष्य में कोई खास लाभ की उम्मीद नहीं है . सीखना ही है तो स्पैनिश या चाइनीज सीख , जिसे आजकल बहुत लोग सीख रहे हैं तो तृषा का जवाब होता “ मैं किसी भीड़ की पूंछ नहीं बनना चाहती हूँ . मैं भीड़ से अलग दिखना चाहती हूँ . “


बहरहाल ग्रेजुएशन तक तो तीनों ने एक ही कॉलेज में पढ़ाई की . उसके बाद संजय बिजनेस मैनेजमेंट पढ़ने बिजनेस स्कूल में गया . कमला और तृषा अलग अलग विषयों में पी जी कर रही थीं . तृषा और कमला में अभी भी अच्छी दोस्ती थी . पोस्ट ग्रेजुएशन ख़त्म होते ही संजय और कमला दोनों की शादी हुई . दोनों की शादी अरेंज्ड मैरेज थी . इस शादी में तृषा भी आयी थी . उसने कमला को बधाई देते हुए हँस कर कहा “ तृषा की तृष्णा नहीं मिटी और तू संजय को ले भागी . “


“ मेरी और संजय की शादी अरेंज्ड मैरेज है और वह भी एक इत्तफाक से . तूने पहले कहा होता तो तेरे लिए छोड़ देती . “ कमला ने कहा


“ तूने सीरियसली ले लिया , मैंने मजाक में कहा था . “


“ तो मैं कब सीरियस थी , आई वाज आल्सो किडिंग ? “

शादी के बाद कमला संजय के साथ मुंबई आयी . दोनों पुराने दोस्त अब जीवनसाथी बन कर बहुत खुश थे . दो साल के अंदर ही कमला ने एक बेटी को जन्म दिया . बेटी वर्षा को पा कर दोनों बहुत खुश थे . वर्षा बहुत सुन्दर थी और उसने बचपन से ही संगीत सीखना शुरू किया . वह भी माँ की तरह गायन में अच्छी थी .


संजय एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर था . उसे कम्पनी की तरफ से अच्छा फ्लैट और कार विथ ड्राइवर मिला था और उसका वेतन भी पांच अंकों में था . वह अपनी पत्नी और बेटी दोनों से बहुत प्यार करता . संजय ज्यादातर अपने काम में व्यस्त रहता , उसे अक्सर टूर पर भी बाहर जाना पड़ता था . फिर भी समय निकाल कर कभी वह गीत भी लिख लेता और कमला और वर्षा उस गीत को गुनगुनाया करतीं .


कमला और संजय की शादी हुए 12 साल बीत गए . कमला की तबीयत अक्सर कुछ ख़राब रहती , कभी पीरियड की गड़बड़ी , कभी पेट में दर्द के साथ हल्का बुखार , कभी कब्ज . कमला इसे कोई ख़ास बीमारी न समझ कर नजरअंदाज कर देती , कभी अपने से कुछ दवा ले लेती या कभी फैमिली डॉक्टर से फोन पर पूछ कर कुछ दवा ले लेती . संजय अक्सर रात में देर से घर लौटता तो पहले की तरह वह उसका साथ नहीं दे पाती थी .


एक दिन ऑफिस से लौट कर संजय बोला “ कमला , तुम्हारे लिए खुशखबरी है , तुम्हारी सहेली तृषा ने हमारे ऑफिस में आज ज्वाइन किया है . “


“ अच्छी बात है , बोलना कभी मिले आ कर . हमारी शादी के बाद कुछ महीनों तक कभी कभी बात कर लेती थी पर अपनी शादी के बाद वह न जाने कहाँ ग़ुम हो गयी . “


“ बेचारी का मैरेड लाइफ ठीक नहीं रहा , तीन साल बाद ही डिवोर्स हो गया . अभी तक डिवोर्सी है . “


“ तृषा बेचारी नहीं हो सकती है , मैं उसे बेहतर पहचानती हूँ . उसी ने डिवोर्स फ़ोर्स किया होगा . एनी वे हमें उसकी निजी जिंदगी से ज्यादा लेना देना नहीं है . “


कुछ देर बाद दोनों पति पत्नी सोने गए . कमला ने कहा “ नहीं आज नहीं , तबीयत ठीक नहीं है . “


“ क्या रोज रोज तबीयत ठीक नहीं है . डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाती हो ? “


“ मैं क्या झूठ बोल रही हूँ ? डॉक्टर की दवा ले रही हूँ . अब सो जाओ , वर्षा अभी अपने कमरे में जगी है . “


दो दिन बाद शाम को तृषा कमला से मिलने आयी . ऑफिस से लौटते समय वह संजय के साथ आयी थी . आते के साथ वह कमला के गले मिली फिर उसी सोफे पर जा बैठी जिस पर संजय बैठा था और बोली “ एक बार फिर तीनों दोस्त मिल गए , कितना अच्छा हुआ . “


“ तृषा , घर में भले दोस्त हों पर ऑफिस में मैं तुम्हारा बॉस हूँ . “ संजय ने हँस कर कहा


“ बॉस क्या , तुम मेरे सब कुछ हो . “

यह सुन कर कमला आश्चर्य से उसे देखने लगी , संजय भी सवालिया निगाहों से देर तक उसे देखता रहा .


तृषा ने कहा “ अरे ऐसे क्यों घूर रहे हो दोनों ? मेरा मतलब है संजय मेरे बॉस के साथ मेरा लोकल गार्जियन भी है . मैं यहाँ बिल्कुल अकेली हूँ , संजय ने मेरे बारे में तुम्हें बताया होगा . “


कमला ने सर हिला कर आधे मन से सहमति जतायी . संजय ‘ एक्सक्यूज़ मी फॉर फाइव मिनट्स ‘ बोल कर वाशरूम में गया . इसी बीच तृषा ने कहा “ तुमने संजय को पा लिया और अब मैं भी दिन भर उसके साथ उठती बैठती हूँ . साथ में लंच , टी , कॉफ़ी लेती हूँ , तेरा बनाया खाना संजय बड़ी तारीफ कर के खाता है और मुझे भी खिलाता है . सच , बहुत अच्छी कुक बन कर रह गयी है तू . पी जी करने के बाद भी घर में कैद रह गयी और मैं आज़ाद पंछी की तरह खुले में सांस लेती हूँ . “


“ संजय ने मुझे नौकरी करने ही नहीं दिया . ज्यादातर खाना हमारी कुक बनाती है . हाँ , कभी कभी संजय की पसंद की स्पेशल डिश मैं बना देती हूँ . “


तब तक संजय भी फ्रेश हो कर आया . उसकी कुक अभी किचेन में ही थी , उसे आवाज दे कर कहा “ हमलोगों के लिए जल्दी से चाय नाश्ता ले आओ . “


तीनों के बीच करीब एक घंटा गपशप होते रहा तब संजय बोला “ तृषा तुम्हें अब जाना चाहिए , तुम्हें दूर जाना है . “


“ तुम नहीं छोड़ डोगे ? “


तृषा के बोलने पर कमला उसे घूरने लगी .


“ नो , वर्षा बिटिया का एग्जाम चल रहा है , उसे कुछ गाइड करना होगा . मैं उबेर कैब बुक कर देता हूँ . “ बोल कर संजय ने उबेर बुक कर दिया . 10 मिनट में टैक्सी आयी और तृषा चली गयी .


क्रमशः